Thursday, April 27, 2017

पौने तीन पांतिक गाम

पौने तीन पांतिक गाम

कतेक रास कविता लिख देलक ललटुनमा,
नै भास भेटलै आ नै सोझरौल आखरे,
तैयो लिखैत रहल कविता पर कविता अपने ललटुनमा।
सत्ते कहै छी यैह पिपराही बाली ललमुनिया कनिया'क भातिज, ललटुनमा।
आ वैह दुरुखा कात कोन मे दबकल रहैबला ललटुनमा।
बहुतो बरख सं पढैत रहल ओ कविता आ चौपाई
दोहा आ सोरठा अप्पन गाम पर
लिखलाहा आखर लेकिन अनकर
बताह जेंका ओना मासी धंगैत तकैत रहल महराजी पोखैर परहक भालसरिक छाहैर तर सुसताइत बहलमान आ
पूबरिया महार पर नदी फिरैत ननकिरबीक फोटो
शाह पसीन दिस तकैत ललटुनमाक नोरैल आंखि जाहि सं दहो बहो गंगा जमुना बहैत अप्पनहिके तकैत रहल गामनामक कवित्त मे
लेकिन नै भेटबाक जे
शाह पसीन होय या अप्पन गाम
नहिये ने सुझाइत छैक।
बहुत रास लिख देला सं यदि भेटैक रहितै त
कनटोपा लॉटसाहेब के
भेट गेल रहितैक सौंस गाम।
अधहो आखर नै बेसी नै कम
भेटलै पौने तीन पांतिक गाम।
( कविता दिवस पर)

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