एक बहुत ही अच्छी कहानी। प्रतिलिपी से साभार। प्रभात रंजन कई दफा बोलते जरुर थे कि छोटे शहर से आई मीडिया में नाम कमाती एक लड़की की कहानी लिखनी है।पर जो दमदार बात है वह किस्सागोई की करामात है। कहानी से कहानी निकले, महाभारत की तरह, कथासरित-सागर की तरह… उनके उस्ताद की तरह।बदलते मंजर का भूगोल, नेटवर्क का खेल, मीडिया के बाजार में अपने यादों को सहेजकर इस्तेमाल करती एक चालाक लड़की, एक सशक्त लड़की, संपादक के पद को नया आयाम देती । ये सब सहज ही दिखाई देता है इस कहानी में। पर जो थोड़ा गहरा है वह है अपराध सीरियल के फारमेट और प्रवाह में आधुनिकता से पहले की किस्सागोई का उपयोग।
सोनाली और सुबिमल मास्टर की कहानी: प्रभात रंजन
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