एक आधी खुली खिड़की: महात्मा गांधी के जन्मस्थान पोरबंदर में । उनके घर के पहली मंजिल पर जहां जाने के लिये आपको काठ की सीढियां बेहद सावधानी से चढ़कर जाना होगा। आधी खुली खिड़की जिससे महात्मा के घर कोई भी फांदकर आने की जहमत क्योंकर करे? कोई भी आ जाये और इस घर को बहुत परिचित ही बताने लगे। आखिर हर किसी का हक भी तो ठहरा।पर, फिर भी तारीख की कवायद से पड़े यह खिड़की ताकीद करती रहेगी कि वह आधी ही खुली थी।
देर से: मेरी एक प्यारी सी भतीजी है लखनऊ में रहती है और पता नहीं कब कैसे पर बापू से बहुत लगाव है उसे। पोरबंदर आने का उसका बहुत मन है और संयोग बन नहीं पा रहा। तो आज जब हमें पता चला कि सोमनाथ से द्वारका के रास्ते पोरबंदर से गुजरते हैं तब से कीर्ति मंदिर जो गांधी जी का जन्मस्थान हैं वहां तक उस छोटी सी भतीजी का ख्याल उतना ही आह्लादित करता रहा जितना मन गांधी जी को याद कर रहा था। फेसबूक लाइब भी उसी को ध्यान में रखते हुए साझा कर रहा था। बहुत कुछ है कहने सुनने को पर एक गली जिससे होकर हम वहां तक पहुंचे, मेरी भतीजी श्रेयसी और इस अधखुली खिड़की के बंद/खुले समय और संभावनाओं के नाम...
देर से: मेरी एक प्यारी सी भतीजी है लखनऊ में रहती है और पता नहीं कब कैसे पर बापू से बहुत लगाव है उसे। पोरबंदर आने का उसका बहुत मन है और संयोग बन नहीं पा रहा। तो आज जब हमें पता चला कि सोमनाथ से द्वारका के रास्ते पोरबंदर से गुजरते हैं तब से कीर्ति मंदिर जो गांधी जी का जन्मस्थान हैं वहां तक उस छोटी सी भतीजी का ख्याल उतना ही आह्लादित करता रहा जितना मन गांधी जी को याद कर रहा था। फेसबूक लाइब भी उसी को ध्यान में रखते हुए साझा कर रहा था। बहुत कुछ है कहने सुनने को पर एक गली जिससे होकर हम वहां तक पहुंचे, मेरी भतीजी श्रेयसी और इस अधखुली खिड़की के बंद/खुले समय और संभावनाओं के नाम...
No comments:
Post a Comment