अभी पुराने फोटो खंगालते वक्त ये मिला:
नीचे की पंक्तियाँ है:
"पुत्र तुम यह क्या करते हाय
हमीं पीलाया दूध सभी को पोसा अन्न खिलाय
आपस में फिर क्यों तुम लड़ते ममता मोर बिहाय
कट मरौ भाई भाई सो अचरज बड़ी लखाय
गले मिलो अबहूँ तो प्यारे हम सन लाखा न जाय"
श्री कमला से उद्धृत जो भागलपुर से निकला करता था